Anurag Kashyap Biography in Hindi : कभी वेटर का काम किया, फुटपाथ पर सोए, अब नेटवर्थ करीबन 980 करोड़

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Anurag Kashyap Biography in Hindi : कभी वेटर का काम किया, फुटपाथ पर सोए, अब नेटवर्थ करीबन 980 करोड़
फिल्म निर्माता-निर्देशक अनुराग कश्यप (52) ने कई हिट फिल्में दी हैं। उनके काम करने का तरीका अन्य निर्माता-निर्देशकों से बिल्कुल जुदा है। वे कम खर्च में फिल्में बनाते हैं। फिलहाल अनुराग बॉलीवुड के टॉक्सिक कल्चर के चलते मुंबई छोड़ने की खबरों को लेकर चर्चा में है।
जानते हैं उनकी संघर्ष से सफलता की कहानी
  • उतार-चढ़ाव : शराब की लत की वजह से पत्नी का साथ छूटा
अनुराग की पांच नामक फिल्म रुक गई थी। साथ ही उन्हें तेरे नाम, कांटे जैसी फिल्मों से भी बाहर कर दिया गया था। इससे उन्हें शराब की लत लग गई थी। परेशान होकर पूर्व पत्नी आरती बजाज ने उन्हें घर से निकाल दिया था। जब भारत में उनकी ब्लैक फ्राइडे मूवी रिलीज नहीं हुई तो वे उसकी कई डीवीडी न्यूयॉर्क के एक स्टोर में दे आए थे। उन्होंने स्टोर ऑनर से कहा था, जो भी पैसा आए आप रख लेना। बस ये फिल्में बेचिए।
  • सफलता : गैंग्स ऑफ वासेपुर, गुलाल जैसी फिल्में बनाई
अनुराग बिना क्रेडिट व पैसे लिए एक दिन में 100-100 पेज लिखा करते थे। 1998 में फिल्म सत्या लिखने का मौका मिला। सत्या सुपरहिट रही। तब इसके लिए उन्हें 10 हजार रुपए महीने के मिलते थे। वेबसीरीज तांडव के विवाद आदि के कारण लॉकडाउन के समय वे डिप्रेशन का शिकार हो गए थे।
2009 में देव डी फिल्म से उन्हें कॉमर्शियल सक्सेस मिली। लेकिन गैंग्स ऑफ वासेपुर ने उन्हें इंडस्ट्री में एक अलग पहचान दी। उन्होंने गुलाल, उड़ान, रमन राघव जैसी फिल्में बनाईं। महाराजा फिल्म में अनुराग की एक्टिंग को काफी सराहना मिली। 2014 में क्वीन को-प्रोड्यूस की, जिसे फिल्मफेयर का बेस्ट एडिटिंग अवॉर्ड और नेशनल अवॉर्ड भी मिला। 2024 में आई रिपोर्ट के अनुसार इनकी नेटवर्थ 980 करोड़ रुपए है।
  • संघर्ष का दौर : बिना क्रेडिट-पैसे के दिन में 100-100 पेज लिखे
1992 तक तो अनुराग फिल्मों में आना भी नहीं चाहते थे। वे वैज्ञानिक बनना चाहते थे। 1993 में उन्होंने फिल्मों की ओर रुख किया। जब वे मुंबई आए तो उन्हें फुटपाथ तक पर सोना पड़ा था। इसके लिए भी उन्हें 6 रुपए देने पड़ते थे। उन्होंने पृथ्वी थिएटर के कैफे में वेटर और स्टेज की सफाई का काम किया।
अनुराग बिना क्रेडिट व पैसे लिए एक दिन में 100-100 पेज लिखा करते थे। 1998 में फिल्म सत्या लिखने का मौका मिला। सत्या सुपरहिट रही। तब इसके लिए उन्हें 10 हजार रुपए महीने के मिलते थे। वेबसीरीज तांडव के विवाद आदि के कारण लॉकडाउन के समय वे डिप्रेशन का शिकार हो गए थे।

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