उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक वर्ग में उबाल दिख रहा है। ( CJI Gavai Comment on Lord Vishnu ) लोग संवैधानिक पद पर बैठकर हिंदू आस्था का मजाक उड़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की खिंचाई कर रहे हैं।
खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई (BR Gavai) की टिप्पणी को लेकर विवाद गहराया है. वकील विनीत जिंदल और सत्यम सिंह राजपूत ने इसे आस्था पर चोट बताया और सीजेआई से बयान वापस लेने, स्पष्टीकरण जारी करने और धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने की मांग की है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस बी आर गवई की टिप्पणियों पर प्रतिक्रियाओं का दौर जारी है. वकील विनीत जिंदल के बाद अब वकील सत्यम सिंह राजपूत ने भी खजुराहो में भगवान विष्णु की मूर्ति पर की गई जस्टिस गवई की टिप्पणियों का विरोध करते हुए चीफ जस्टिस गवई को खुला पत्र लिखा है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी की एक प्रति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी भेजी है। चिट्ठी में सीजेआई से इन टिप्पणियों पर पुनर्विचार कर वापस लेने और ‘सभी धार्मिक समुदायों का विश्वास बहाल करने’ के लिए ‘उचित स्पष्टीकरण’ जारी करने की गुजारिश की है।
उन्होंने लिखा है कि भगवान विष्णु के एक समर्पित फॉलोअर के रूप में मैं व्यक्तिगत रूप से इन टिप्पणियों से स्तब्ध हूं. लाखों हिंदुओं की भगवान विष्णु के प्रति आस्था और भक्ति केवल व्यक्तिगत विश्वास का विषय नहीं है, बल्कि उनके आध्यात्मिक अस्तित्व और सांस्कृतिक पहचान का आधार है।
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उच्चतम न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई के खिलाफ सोशल मीडिया पर एक वर्ग में उबाल दिख रहा है। लोग संवैधानिक पद पर बैठकर हिंदू आस्था का मजाक उड़ाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की खिंचाई कर रहे हैं। ( CJI Gavai on Lord Vishnu ) एक तरफ सोशल मीडिया पर सीजेआई गवई के खिलाफ महाभियोग लाने की मांग उठाई जा रही है तो दूसरी तरफ सीजेआई को चिट्ठी लिखकर उनसे अपनी टिप्णी वापस लेने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल ने सीजेआई को लिखी चिट्ठी की एक प्रति राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भी भेजी है।
CJI की टिप्पणी से आक्रोश
दरअसल, मध्य प्रदेश के खुजराहो स्थित जावरी मंदिर यूनेस्को से संरक्षित विश्व धरोहर है। इस मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति खंडित है। एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट से मूर्ति पर भगवान विष्णु का मुख जोड़े जाने का आदेश दिए जाने की अपील की। याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई बीआर गवई ने जो टिप्पणियां कीं, वो वाकई हैरान करने वाली हैं। उन्होंने याचिकाकर्ता से कहा, ‘जाओ, भगवान से ही कहो, वही कुछ करें।’ वो यहीं नहीं रुके। जस्टिस गवई ने आगे कहा, ‘तुमने कहा कि तुम भगवान विष्णु के भक्त हो। तो जाओ और प्रार्थना करो।’

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एक्स यूजर किशोर अय्यर ने भी सीजेआई गवई के नाम एक खुला पत्र लिखा। उन्होंने कहा, ‘हमारे और अरबों हिंदुओं के भगवान का हंसी उड़ाएं, आपको इसका अधिकार कहीं से नहीं मिलता है, उस पद से भी नहीं जिस पर आप बैठे हैं। आपने याचिकाकर्ता से कहा होता है कि अपनी मांग भारतीय पुरातत्विक विभाग (ASI) के पास रखो, लेकिन इसके बजाय आपने उसका और उसकी आस्था का मजाक उड़ाया।’ किशोर ने इसके बाद जो कहा, उसे पढ़कर सीजेआई तिलमिला सकते हैं।
उन्होंने लिखा, ‘लोग आपसे आपकी भाषा में बात करने से इसलिए बचते हैं क्योंकि हममें से बहुत से लोग सभ्य हैं और हम सभी इस बात से डरते हैं कि कुछ कठमुल्ले (संभव है आप भी) हमारे खिलाफ एससी/एसटी का मुकदमा दायर करके परेशान न कर दें। आपकी तरह हम सुविधासंपन्न नहीं हैं कि आपकी जैसी टिप्पणियां करें।’ आगे उन्होंने सीजेआई को याद दिलाया कि वो एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए हैं।
भगवान विष्णु और उनकी भक्ति को लेकर सीजेआई गवई की ऐसी टिप्पणियों से लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है। लोगों ने सोशल मीडिया एक्स पर अपनी नाराजगी जाहिर करते हुए तरह-तरह की राय दी है। किसी ने सीजेआई को चुनौती दे डाली कि हिम्मत है तो वो ऐसी टिप्पणी दूसरे धर्मों के लिए भी करके दिखाएं। बहरहाल, इन सबके बीच वकील विनीत जिंदल ने सीजेआई जस्टिस को चिट्ठी लिखकर उन्हें उनके मर्यादाहीन आचरण की याद दिलाई और टिप्पणई वापस लेने की मांग की।
टिप्पणी वापस लेने की मांग
जिंदल ने अपनी चिट्ठी में कहा कि सनातन धर्म और भगवान विष्णु के अनुयायी होने के नाते उन्हें जस्टिस गवई की टिप्पणियों से आहत हैं। उन्होंने कहा, ‘कोर्ट को पूरा अधिकार है कि वो याचिका को स्वीकार नहीं करे, लेकिन ऐसा करते वक्त वह ऐसी कोई टिप्पणी बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए जो किसी समुदाय की भावना को ठेस पहुंचाकर हमारे संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को चोट पहुंचाती हो।’
याचिका को स्वीकार नहीं करे, लेकिन !
उन्होंने कहा, ‘कोर्ट को पूरा अधिकार है कि वो याचिका को स्वीकार नहीं करे, लेकिन ऐसा करते वक्त वह ऐसी कोई टिप्पणी बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए जो किसी समुदाय की भावना को ठेस पहुंचाकर हमारे संविधान के धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को चोट पहुंचाती हो।’
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विनीत जिंदल ने अपने पत्र में लिखा है, “मैंने सनातन धर्म का अनुयायी होने के नाते ये पत्र सीजेआई को लिखा है. उनसे भगवान विष्णु और सनातनी आस्था के विरुद्ध उनके आपत्तिजनक वक्तव्य को तुरंत वापस लेने की मांग की गई है. इस पत्र की एक प्रति माननीय भारत के राष्ट्रपति को भी भेजी गई है, जिससे यह विषय राष्ट्रीय स्तर पर संज्ञान में लिया जाए. मेरी आशा है कि सर्वोच्च न्यायालय और माननीय राष्ट्रपति इस मामले को गंभीरता से लेंगे और भारत में प्रत्येक धर्म की गरिमा को बनाए रखेंगे।
यह है पूरा मामला।
खजुराहो के प्रसिद्ध जावरी मंदिर में स्थित भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत और रखरखाव करने का आदेश देने की गुहार वाली अर्जी पर चीफ जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की बेंच ने यह कहते हुए सुनवाई से इंकार कर दिया कि यह विषय अदालत के अधिकार क्षेत्र में नहीं बल्कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन आता है। ( CJI Gavai Comment on Lord Vishnu ) इसी दौरान सीजेआई गवई ने चुटकी लेने के अंदाज में टिप्पणी की कि अब तो आप स्वयं भगवान से ही प्रार्थना कीजिए, आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के कट्टर भक्त हैं, तो अब उन्हीं से प्रार्थना कीजिए।
CJI Gavai Comment on Lord Vishnu: चीफ जस्टिस बी आर गवई की टिप्पणी को लेकर विवाद गहराया
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