Financial Crisis in United Nations: कंगाली की कगार पर यूएन

संयुक्त राष्ट्र स्थापना के बाद से आज तक वैश्विक शांति, मानवीय सहायता और बहुपक्षीय सहयोग का प्रमुख स्तंभ रहा है। वैश्विक शांति, मानवीय सहायता और बहुपक्षीय सहयोग का प्रमुख स्तंभ रहा संयुक्त राष्ट्र अब खुद आर्थिक संकट में फंसता दिख रहा है। संयुक्त राष्ट्र सचिवालय 3.7 अरब डॉलर के वार्षिक बजट में अब 20% की कटौती करने जा रहा है। इसके लिए 6,900 कर्मचारियों को निकालने की तैयारी है। इस कटौती की मुख्य वजह अमरीका की तरफ से भुगतान में कटौती करना है। अमरीका संयुक्त राष्ट्र के बजट का लगभग 25% वहन करता है। इसका 1.5 अरब डॉलर से अधिक बकाया है।

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अमरीका – चीन देते हैं कुल फंड्स का 40%.

अमरीका के अलावा चीन ने भी समय पर भुगतान नहीं किया, जो संयुक्त राष्ट्र का दूसरा सबसे बड़ा दानदाता है। दोनों देशों की संयुक्त फंडिंग करीब 40% है। ट्रंप सरकार ने यूएन की एजेंसियों के लिए दिए जाने वाले फंड्स को रोक दिया, जिससे दर्जनों कार्यक्रमों को बंद करना पड़ा।

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क्या-क्या होंगे असर..!

 

यूएन में कटौती लागू होती है तो इसका असर शांति मिशनों पर भी दिखेगा। मानवीय सहायता अभियान बाधित होंगे। जलवायु परिवर्तन और सतत विकास लक्ष्यों पर काम धीमा हो सकता है। न्याय, मानवाधिकार और शिक्षा जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।

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