अमेरिका के साथ विभिन्न देशों की संभावित ट्रेड डील से चीन बौखला गया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमवार को कहा, ट्रम्प टैरिफ से बचने के लिए अमेरिका के साथ ट्रेड डील करने वाले देशों से यदि चीन के व्यापारिक हितों को चोट पहुंची तो डील करने वाले देशों पर वह जवाबी कार्रवाई करेगा। चीन का बयान ऐसे समय पर आया है जंब भारत-अमेरिका ट्रेड डील को फाइनल कर रहे हैं।
भारत ने स्टील पर 12% टैरिफ लगायाः
भारत ने स्टेनलेस स्टील पर 12% अस्थायी टैरिफ लगाया है। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार इस टैरिफ को सेफगार्ड ड्यूटी नाम दिया गया है। इसका उद्देश्य चीन से भारत में सस्ती दरों पर स्टील की डंपिंग को रोकना है। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार ये 12% अस्थायी टैरिफ अगले 200 दिनों तक लागू होगा। भारत क्रूड स्टील का दूसरा बड़ा निर्यातक व स्टेनलेस स्टील का दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा आयातक देश है।
ट्रम्प सरकार ने पिछले हफ्ते चीन को एआई चिप्स की बिक्री पर नए प्रतिबंध लगा दिए
चीन को कम्प्यूटर चिप के निर्यात पर रोक के खिलाफ सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री अमेरिकी सरकारों से लगातार चर्चा करती रही है। लेकिन इसका कोई नतीजा नहीं निकला है। ट्रम्प सरकार ने पिछले हफ्ते चीन को एआई चिप्स की बिक्री पर नए प्रतिबंध लगा दिए हैं। अब चिपमेकर कंपनियां भविष्य की रणनीति पर गौर कर रही हैं। उन्हें आशंका है कि पीछे हटने से चीनी कंपनी हुवावे दुनिया की सबसे बड़ी चिप निर्माता बन जाएगी। उन्हें नुकसान उठाना पड़ेगा। शेयर मार्केट में दिग्गज चिप निर्माता अमेरिकी कंपनियों के शेयरों में गिरावट से इसके संकेत मिले हैं। ट्रम्प प्रशासन ने कहा है कि वह एनवीडिया, एडवांस्ड माइक्रो डिवाइसेस और इंटेल के एआई चिप्स की बिक्री पर रोक लगा रहा है। इस फैसले से चीन में अमेरिकी चिप कंपनियों के कारोबार पर असर पढ़ेगा।
अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनियों के लिए चीन में संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं।
चीन विश्व में सबसे अधिक चिप्स खरीदता है। ट्रम्प के फैसले की घोषणा के बाद दुनिया की सबसे बड़ी एआई चिपमेकर एनवीडिया के शेयर 8.4 प्रतिशत गिरं गए थे। एएमडी के शेयर 7.4 प्रतिशत और इंटेल के 6.8 प्रतिशत नीचे आ गए थे। सेमीकंडक्टर कंसल्टेंट हैनडेल जोन्स कहते हैं, अमेरिकी सेमीकंडक्टर कंपनियों के लिए चीन में संभावनाएं खत्म हो चुकी हैं। कम्प्यूटर चिप्स आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का मुख्य हिस्सा हैं। एआई सिस्टम में इस्तेमाल होने वाली चिप्स के बाजार में एनवीडिया का दबदबा है। पिछले कुछ समय में शेयर मूल्यों में गिरावट होने से पहले वह 340 लाख करोड़ रु (4 ट्रिलियन डॉलर) मूल्य की पहली कंपनी बनने वाली थी। अब उसका मूल्य 210 लाख करोड़ रुपए (2.5 ट्रिलियन डॉलर) से कम हो गया है। वाधवानी एआई सेंटर के डायरेक्टर ग्रेगरी एलन का कहना है, एनवीडिया की पुरानी पीढ़ी की चिप्स हुआवे की सर्वश्रेष्ठ चिप्स से 40 प्रतिशत बेहतर हैं। लेकिन यदि अपने अमेरिकी प्रतिद्वंद्वियों के कारोबार पर हुआवे का कब्जा हो गया तो यह अंतर कम हो जाएगा।
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चीन के लिए डेटा सेंटर बनाना आसान
एनवीडिया के चीफ हुआंग वर्षों से चिंता जता रहे हैं कि चीन की टेलीकॉम कंपनी हुआवे एआई में प्रमुख प्रतिद्वंद्वी बन जाएगी। उन्होंने अमेरिकी अधिकारियों को आगाह किया है कि अमेरिकी कंपनियों को चीन में कारोबार करने से रोकने पर हुआवे तेजी से आगे बढ़ेगी। वे सोचते हैं, हुआवे के मजबूत होने से चीन कंपनी की चिप्स से दुनियाभर में डेटा सेंटर का निर्माण करेंगा।
India America Trade Deal: चीन का डर – किसी ने अमेरिका से डील की तो जवाबी कार्रवाई करेंगे।
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