Infosys Cognizant law suit : Infosys और America it company मे टक्कर।
आईटी दिग्गज infosys ने वित्त वर्ष 2024-25 की चौथी तिमाही में वार्षिक वेतन वृद्धि को कथित तौर पर स्थगित कर दिया है। कंपनी ने आखिरी बार नवंबर 2023 में वेतन वृद्धि लागू की थी। वेतन वृद्धि में देरी, जो आमतौर पर वर्ष की शुरुआत में लागू की जाती है, इंगित करती है कि घरेलू आईटी क्षेत्र अभी भी अनिश्चितताओं का सामना कर रहा है।
मंदी का कारण यह बताया गया है कि ग्राहक नई तकनीकें और सॉफ्टवेयर खरीदने पर कम पैसा खर्च कर रही हैं। इसका कारण यह है कि उन्हें डर है कि America के नए राष्ट्रपति Donald Trump कुछ नए नियम बना सकते हैं जिससे कंपनियों को और ज्यादा पैसे देने पड़ेंगे। Donald trump का प्रशासन 20 जनवरी से काम करना शुरू कर देगा।
infosys के संबंध में, मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज ने अपने प्री-अर्निंग्स नोट में कहा था कि दिसंबर तिमाही में infosys का मार्जिन घट सकता है। यह कर्मचारियों के छुट्टी पर जाने और कम कामकाजी दिनों के कारण है। हालांकि, इसकी भरपाई मूल्य वृद्धि, उप-ठेकेदार लागत अनुकूलन और ‘प्रोजेक्ट मैक्सिमस’ द्वारा की जाएगी। ‘प्रोजेक्ट मैक्सिमस’ इंफोसिस की मार्जिन सुधार योजना है और इसका लक्ष्य लागत कम करना है।
देश की दूसरी सबसे बड़ी सॉफ्टवेयर एक्सपोर्टर कंपनी इंफोसिस (Infosys) ने अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज नैस्डैक (NASDAQ) में लिस्टेड कंपनी कॉग्निजेंट (Cognizant) के खिलाफ अमेरिका अदालत में आरोप (काउंटरक्लेम) है। इंफोसिस का आरोप है कि कॉग्निजेंट और इसके सीईओ रवि कुमार गैर-प्रतिस्पर्धी गतिविधियों में शामिल हैं और उन्होंने इंफोसिस के हेल्थकेयर प्लेटफॉर्म इंफोसिस हेलिक्स (Infosys Helix) की ग्रोथ को सुस्त करने के लिए संवेदनशील जानकारी का गलत इस्तेमाल किया। इंफोसिस और अमेरिका के कॉग्निजेंट के बीच का विवाद बढ़ता जा रहा है। बीते दिनों अमेरिकी आईटी कंपनी कॉग्निजेंट ने इंफोसिस के खिलाफ ट्रेड सीक्रेट चुराने का आरोप लगाते हुए मुकदमा दायर किया था।

क्या है आरोप
इंफोसिस का आरोप है कि कंपनी और उसके सीईओ रवि कुमार प्रतिस्पर्धा-विरोधी रणनीति में शामिल थे। उन्होंने सीक्रेट इंफॉर्मेशन का मिसयूज किया और Infosys Helix के ग्रोथ को सुस्त करने में अहम भूमिका निभाई। काउंटर क्लेम में इंफोसिस ने जूरी ट्रायल की मांग की है ताकि अदालत भारतीय आईटी कंपनी के साथ कॉग्निजेंट के समझौतों को अमान्य घोषित करे और साथ ही उसे हुए नुकसान का तीन गुना मुआवजा दे, साथ ही वकील की फीस भी दे।
बता दें कि कॉग्निजेंट की सहायक कंपनी कॉग्निजेंट ट्राइजेटो ने कुछ महीनों पहले आरोप लगाया था कि इंफोसिस ने अपने हेल्थकेयर इंश्योरेंस सॉफ्टवेयर से संबंधित ट्रेड सीक्रेट को चुरा लिया है। हालांकि, इंफोसिस ने तब इसका खंडन करते हुए कहा था कि वह अदालत में मुकदमे का जोरदार बचाव करेगी।
तेज हुई इंफोसिस बनाम कॉग्निजेंट की लड़ाई
यह मुकदमा इन दोनों आईटी कंपनियों के बीच तनाव और बढ़ने की तरफ इशारा करता है। यह घटनाक्रम ऐसे वक्त में हुआ है, जब अमेरिकी अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की वजह से आईटी इंडस्ट्री अनिश्चितता के दौर से गुजर रही है। इसके अलावा, कॉग्निजेंट के सीईओ रवि कुमार इससे पहले इंफोसिस में काम कर चुके हैं। कॉग्निजेंट ज्वाइन करने से पहले वह इंफोसिस में प्रेसिडेंट और डिप्टी चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर थे। इससे पहले मनीकंट्रोल ने खबर दी थी कि इंफोसिस ने कॉग्निजेंट को चिट्ठी लिखकर एग्जिक्यूटिव्स की सेंधमारी करने से बचने को कहा था।
कर्मचारियों को लेकर भिड़ंत
आईटी दिग्गज infosys और cognizant में पहले भी कर्मचारियों को तोड़ने को लेकर भिड़ंत हो चुकी है। इंफोसिस ने आरोप लगाया था कि उसके कर्मचारियों को अमेरिकी कंपनी तोड़ने की कोशिश कर रही है।

रवि कुमार का infosys से कनेक्शन
Cognizant के सीईओ रवि कुमार इंफोसिस के टॉप मैनेजमेंट में रह चुके हैं। वह कंपनी के प्रेसिडेंट और डिप्टी सीओओ के रूप में काम कर चुके हैं। उन्होंने साल 2016 में इंफोसिस के प्रेसिडेंट के तौर पर ज्वाइन किया था। वहीं, साल 2019 में कंपनी ने अपने हेल्थकेयर इंश्योरेंस के लिए Infosys Helix को डेवलप करना शुरू किया। आरोप है कि रवि कुमार ने शुरू में इस प्लेटफॉर्म के डेवलपमेंट में अपना प्रयास जारी रखा लेकिन जब उन्होंने साल 2022 में कॉग्निजेंट के साथ जुड़ने के बारे में बातचीत शुरू की तो सुस्त पड़ गए।
इंफोसिस का कहना है कि 2022 में हेलिक्स के लिए रवि कुमार का उत्साह अचानक ठंडा हो गया। इस वजह से इंफोसिस हेलिक्स के पूरा होने में कम से कम 18 महीने की देरी हुई। बता दें कि अक्टूबर 2022 में रवि कुमार ने इंफोसिस से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले Cognizant की सब्सिडियरी Cognizant ट्रीजेट्टो ने इंफोसिस पर हेल्थकेयर इंश्योरेंस सॉफ्टवेयर से जुड़े ट्रेड सीक्रेट की चोरी करने का आरोप लगाया था। इंफोसिस ने अपने प्रार्थना पत्र में अमेरिकी अदालत से ज्यूरी ट्रायल का अनुरोध करते हुए इस सिलसिले में वकील की फीस आदि पर खर्च हुई रकम का तीन गुना हर्जाना भी मांगा है।
money control ने इस काउंटरक्लेम की कॉपी भी देखी है और टिप्पणी के लिए दोनों कंपनियों से संपर्क करने की भी कोशिश की।
वर्तमान वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में, कंपनी का लाभ साल-दर-साल 4.7 प्रतिशत बढ़कर 6,506 करोड़ रुपये हो गया, जो एक साल पहले इसी तिमाही में 6,212 करोड़ रुपये था। दूसरी तिमाही में कंपनी की आय 40,986 करोड़ रुपये थी। यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही में 38,994 करोड़ रुपये था।
न केवल इंफोसिस बल्कि एचसीएल टेक, एलटीआई माइंडट्री और एल एंड टी टेक्नोलॉजी सर्विसेज जैसी कुछ अन्य बड़ी आईटी कंपनियों ने भी इस साल दूसरी तिमाही में लागत और मुनाफे को प्रबंधित करने के लिए वेतन में वृद्धि नहीं की।
सितंबर तिमाही में, इंफोसिस ने वर्ष के लिए अपनी आय वृद्धि गाइडेंस 3.75 प्रतिशत से बढ़ाकर 4.5 प्रतिशत कर दिया। इस दौरान, आईटी दिग्गज ने 21 रुपये प्रति शेयर का डिविडेंड भी घोषित किया।
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