यह मामला मध्य प्रदेश के जबलपुर, भोपाल एवं इंदौर में एक सुनियोजित और बड़े पैमाने पर की गई जीएसटी धोखाधड़ी से संबंधित है, जिसमें एन. के. खरे उर्फ विनोद कुमार सहाय इस संगठित गिरोह का सरगना है। इस गिरोह ने भोले-भाले लोगों को झांसा देकर उनके दस्तावेजों का दुरुपयोग किया और फर्जी फर्में बनाकर करोड़ों रुपये के इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) का अवैध हस्तांतरण कर सरकारी राजस्व को भारी नुकसान पहुंचाया। मामले का खुलासा प्रताप सिंह लोधी की शिकायत और वाणिज्य कर विभाग, जबलपुर की सहायक आयुक्तों (श्रीमती वैष्णवी पटेल और श्रीमती ज्योत्सना ठाकुर) द्वारा भेजी गई रिपोर्टों से हुआ । इन रिपोर्टों में धोखाधड़ी, विश्वासघात और आपराधिक साजिश के माध्यम से जीएसटी चोरी का संकेत दिया गया था।
विनोद सहाय ने अन्य व्यक्तियों के नाम पर फर्जी फर्में बनाईं:
- मेसर्स मां नर्मदा ट्रेडर्स: श्री प्रताप सिंह लोधी के नाम पर (पंजीकरण 07-02-2020)।
- मेसर्स नमामि ट्रेडर्स: श्री दीनदयाल लोधी के नाम पर (पंजीकरण 13-08-2019)।
- मेसर्स मां रेवा ट्रेडर्स: श्री रविकांत सिंह के नाम पर (पंजीकरण 19-02-2020)।
ऋण का झाँसा देकर दस्तावेज़ प्राप्त करना एवं फर्जी फर्मों का निर्माण और पंजीकरण करना।
मुख्य आरोपी विनोद कुमार सहाय (जो खुद को पहले एन.के. खरे बताता था) ने वर्ष 2019-2020 के दौरान जबलपुर में प्रताप सिंह लोधी, दीनदयाल लोधी, रविकांत सिंह और नीलेश कुमार पटेल जैसे व्यक्तियों से संपर्क किया। उसने इन लोगों को यह कहकर झांसा दिया कि ऋण प्राप्त करने के लिए जीएसटी पंजीकरण (GST Registration) आवश्यक है । इस बहाने से, उसने उनसे उनके आधार कार्ड, पैन कार्ड, फोटो, बैंक खाता स्टेटमेंट, कृषि भूमि से संबंधित दस्तावेज़ (जैसे खसरा, किस्तबंदी खतौनी, ऋण पुस्तिका) और बिजली बिल जैसे महत्वपूर्ण व्यक्तिगत दस्तावेज़ हासिल कर लिए।
Jabalpur GST ITC Scam: जीएसटी में इनपुट टैक्स क्रेडिट का फर्जीवाड़ा, लगभग 34 करोड़
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