Paris AI Summit 2025 :- PM Modi ने कहा कि भारत लार्ज लैंग्वेज मॉडल Large Language Model (LLM) पर काम कर रहा है और AI अब जरूरत बन गया है।
France की राजधानी Paris में 11 फरवरी को हुए ‘ AI Action Summit ‘ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( Prime Minister Narendra Modi ) ने आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ( AI ) के लिए एक पूरा सिस्टम बनाने पर जोर दिया और कहा कि ग्लोबल स्टैंडर्ड भी तय किए जाने चाहिए. उन्होंने कहा कि AI के लिए वैश्विक प्रयास करने होंगे ताकि साझा मूल्य को बनाए रखा जा सके और यह इससे जुड़े खतरों से निपटने के लिए भी जरूरी है. AI को लेकर भारत के प्लान पर बात करते हुए PM Modi ने कहा कि देश लार्ज लैंग्वेज मॉडल (LLM) पर काम कर रहा है और AI अब जरूरत बन गया है.
AI पर PM Modi का ये भाषण भारत की एआई को लेकर एप्रोच के हिसाब से अहम है. उनका भाषण बताता है कि भारत इस मुद्दे पर मजबूती से आगे बढ़ेगा. अब तक मोदी सरकार ने एआई को लेकर इतने स्पष्ट तरीके से प्लान नहीं रखा था. ये तीसरी AI Summit है. इससे पहले साल 2023 में ब्रिटेन और 2024 में दक्षिण कोरिया में हुआ था और अगली एआई समिट भारत में होगा. अभी तक मोदी सरकार ने AI को लेकर कोई मजबूत प्लान तैयार नहीं किया था, लेकिन Google के अनुमान अनुसार आने वाले समय में AI से भारत को 33 Lakh Crore रुपये का आर्थिक लाभ मिलेगा . इस वजह से सरकार इसे लेकर मजबूत प्लान के साथ आगे बढ़ने के लिए तैयार है.
AI Summit की सह-अध्यक्षता के भारत के लिए क्या मायने?
इंडियन इंडल्ट्री स्टेकहोल्डर्स का मानना है कि फ्रांस के रूप में भारत को एक महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय पार्टनर मिला है, जो India के एआई मिशन और America और China से बराबरी करने में मददगार साबित हो सकता है. एआई एनालिस्ट और टेक कंसल्टेंसी फर्म RPA2AI के फाउंडर कश्यप कोमपेला ने कहा कि फ्रेंच कंपनी मिस्ट्रल का एआई की दुनिया में बड़ा नाम है. यह दुनिया की 10 एआई एप्लीकेशन एंड सर्विसेज कपंनियों में शामिल है. इसके साथ आने से भारत को लंबे समय के लिए एक मजबूत पार्टनर मिलेगा और आज के समय में बिग टेक कंपनियों के प्रभुत्व को कम करने में भी मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि अगर भारत में वैश्विक निवेश कम होने लगे तो यूरोपीयन यूनियन में एक मजबूत साझेदार भारत को अपने एआई विकास को दुनियाभर में ले जाने में मदद करेगा.
AI से नौकरियों पर पड़ेगा असर?
AI को लेकर लोगों की सोच अब बदलने लगी है. उनको लगता है कि इससे मौजूदा व्यवस्थाएं बदल जाएंगी. घर से लेकर स्कूल और दफ्तर तक हर काम में एआई की भूमिका होगी. युद्ध में भी एआई की मदद से लड़ाइयां लड़ी जाएंगी. इस सबके बीच एक सवाल उठने लगा है कि एआई का नौकरियों पर क्या असर पड़ेगा.
2030 तक चली जाएंगी 40 पर्सेंट नौकरियां
ये बात सच है कि वर्तमान में जो नौकरियां हैं वो घटेंगी लेकिन ये एआई लर्निंग और एआई स्किल पर शिफ्ट हो जाएंगी. आने वाले समय में नौकरी के लिए एआई स्किल्स होना जरूरी हो जाएगा.
पीएम मोदी ने भी अपने भाषण में कहा. उन्होंने कहा कि इतिहास ने हमें दिखाया है कि टेक्नोलॉजी की वजह से काम कहीं जाता नहीं है. सिर्फ इसकी प्रकृति बदल जाती है और नई तरह की नौकरियां पैदा होती हैं. दुनिया में इस वक्त 268 करोड़ नौकरियां हैं और 2030 तक 40 पर्सेंट यानी 107 करोड़ नौकरियां एआई के कारण चली जाएंगी, इनकी जगह ऐसी नौकरियां होंगी, जिनमें एआई लर्निंग और एआई स्किल्स होंगी.
AI से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
Paris में हुए एआई सम्मेलन में 90 देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. ये देश जानते हैं कि आने वाले समय में एआई जरूरत बन जाएगा इसलिए सभी इस दिशा में आगे बढ़ने में जुटे हैं. एआई की वजह से सभी देशों की अर्थव्यवस्था बदल जाएगी. अनुमान है कि 2030 तक दुनिया की अर्थव्यवस्था को लगभग डेढ़ हजार लाख करोड़ रुपये का फायदा होगा. ऐसा अनुमान है कि 2050 तक दुनिया में 100 करोड़ एआई रोबोट होंगे, जो स्कूलों में बच्चों को पढ़ाएंगे भी और अस्पतालों में सर्जरी तक करेंगे, घरों में सफाई भी करेंगे.
AI मिशन पर कितना खर्च कर रहा भारत?
कार्यक्रम की सह-अध्यक्षता करना एआई क्षेत्र में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा. इससे सरकार को स्वदेशी AI तैयार करने में मदद मिलेगी. भारत अपने एआई मिशन के लिए 10,371 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है, जो देश के एआई रोडमैप का बड़ा हिस्सा है.
India ने AI Sector में अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए कई बड़े ऐलान किए हैं. इनमें एआई स्टार्टअप्स और रिसर्च के लिए 18 हजार GPU का एआई इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जाना है. GPU यानी ग्राफिक प्रोसेसिंग यूनिट एक इलेक्ट्रॉनिक सर्किट यूनिट है, जिसे तेजी से फोटो और वीडियो के निर्माण के लिए तैयार किया गया है. तेजी से गणना करने की इसकी क्षमता के कारण एआई और साइंटिफिक कंप्यूटिंग जैसे क्षेत्रों में जीपीयू की बड़ी अहमियत है.
क्या है LLM?
पेरिस का एआई समिट भारत की सह-अध्यक्षता में हो रहा है, जिसका कारण ये है कि अमेरिका और चीन के बाद भारत एआई टैलेंट पूल की लिस्ट में तीसरे नंबर पर आता है. अमेरिका और चीन इस रेस में भारत से आगे हैं क्योंकि उनके पास LLM है. LLM एक आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस प्रोग्राम है, जिसको टेक्स्ट बेस्ड डेटा पर ट्रेंड किया गया है. इसकी मदद से हर सवाल का लिखित में जवाब मिलता है. जैसे ChatGPT, Gemini हैं. अमेरिका के पास चैट
ChatGPT,
Gemini,
Perplexity जैसे एआई बॉट्स हैं और चीन के पास
DeepSeek और दूसरे AI स्टार्टअप्स हैं. इन कंपनियों के पास अपना LLM है. अब भारत भी अपना LLM तैयार करेगा, जिससे भारतीयों को बेहतर सर्विसेज मिलेंगी. इस डेटा के इस्तेमाल से एआई को क्षेत्रीय भाषा के लिए ट्रेन किया जा सकेगा.
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