नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में ही उच्च उधारी लागत के कारण सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड स्कीम को बंद कर दिया। संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि बढ़ती उधारी लागत, सोने की कीमत में अस्थिरता और वैश्विक आर्थिक चुनौतियों के कारण सरकार ने एसजीबी को बंद कर दिया गया है। सरकार के लिए यह स्कीम वित्तीय बोझ साबित हो रही थी। जिस तरह से सोने की कीमतों में इजाफा हुआ है, इसे देखते हुए सरकार को आगे भी कोई राहत मिलती नहीं दिख रही है। यह स्कीम 2015 में गोल्ड का इंपोर्ट बिल कम करने के लिए लाई गई थी।
130.11 टन एसजीबी अभी भुनाए जाने शेष
आरबीआइ के आंकड़ों के मुताबिक, नवंबर 2015 और फरवरी 2024 के बीच सरकार की तरफ से 67 किस्तों में 72,274 करोड रुपए मूल्य के 146.96 टन के बराबर एसजीबी जारी किए गए। इनमें से सात किस्तों को बॉन्डधारक उनकी मैच्योरिटी पीरियड पूरी होने के बाद भुना चुके हैं। फाइनल और प्रीमैच्योर रिडेम्प्शन को मिला दें तो 16.84 टन गोल्ड बॉन्ड भुनाए जा चुके हैं। यानी 130.11 टन बॉन्ड अभी भुनाए जाने शेष हैं।
केंद्र सरकार पर कर्ज बढ़ता जाएगा।
सोने की मौजूदा कीमतों के हिसाब से एसजीबी के इन बकाए यूनिट के भुगतान पर सरकार पर 1.15 लाख करोड़ रुपए देनदारी बनती है। बॉन्डधारकों को सालाना 2.5% ब्याज देना पड़ता है। सरकार की देनदारी 1.20 लाख करोड़ से अधिक हो गई है। यह राशि सरकार को एक बार में नहीं चुकानी है। फाइनल रिडेम्प्शन वर्ष 2032 में होगा। जैसे- जैसे सोने की कीमत बढ़ेगी, सरकार पर इसका कर्ज भी बढ़ता जाएगा।
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