Ujjain Mahakal Shiv navratri : आज से शिव नवरात्रि प्रारंभ। 17 फरवरी से 26 फरवरी तक मनेगा त्योहार।
पूजन श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार से शिव नवरात्रि पर्व आरंभ होगा इस बार 10 दिन तक शिव नवरात्रि पर्व चलेगा। 10 दिनों तक बाबा महाकाल के दूल्हा स्वरूप के दर्शन भक्तों को होंगे। लगभग 60 वर्ष के बाद इस बार विशेष सहयोग बनने जा रहा है। कोटी तीर्थ कुंड के समीप भगवान श्री कोटेश्वर महादेव का सबसे पहले अभिषेक पूजन किया जाएगा। इसके बाद बाबा महाकाल का हल्दी, चंदन, आदि से पंचअमृत स्नान कराया जाएगा। 11 ब्राह्मणों द्वारा एकादश रूद्र पाठ किया जाएगा।
महाशिवरात्रि सर्वप्रथम श्री कोटेश्वर महादेव भगवान पर शिव पंचमी का पूजन अभिषेक सुबह 8 से 9:00 बजे तक होगा। कोटेश्वर महादेव के पूजन आरती के पक्षत भगवान महाकालेश्वर का पूजन अभिषेक प्रारंभ होगा। श्री महाकाल भगवान का पूजन 11 ब्रहमानओं द्वारा एकादशी रूद्र अभिषेक से संपूर्ण नवरात्रि के दौरान किया जाएगा। इसके बाद सुबह 10:30 बजे होने वाले भोग आरती, दोपहर 3:00 बजे भगवान श्री महाकालेश्वर के संध्या पूजन के बाद श्रृंगार किया जाएगा। भगवान महाकालेश्वर को नया वस्त्र और आभूषण धारण कराए जाएंगे। यह क्रम 17 फरवरी से शिव नवरात्रि तक नित्य चलेगा।

60 वर्ष बाद सूर्य बुद्ध शनि की युति के साक्षी व परिधि योग ज्योतिष आचार्य ने बताया भारतीय ज्योतिष शास्त्र के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की महाशिवरात्रि को श्रावण नक्षत्र उपरांत घानिष्ठा नक्षत्र की साक्षी एवं परिधि योग उपरांत शकुनीकरण एवं मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी मे रही है। जब भी कोई त्यौहार का आगमन होता है तो उस समय ग्रह योग, नक्षत्र व संयोग का वासुदेव देखा जाता है। किसी योग में कौन सा त्योहार आ रहा है? 1965 में जब महाशिवरात्रि का पर्व आया था तब सूर्य बुध शनि कुंभ राशि में गोचार कर रहे थे। इसी तरह आने वाली महाशिवरात्रि अर्थात 26 फरवरी को मकर राशि के चंद्रमा की साक्षी में भी इन्हीं तीन ग्रहों की युति रहेगी। सूर्य व शनि पिता पुत्र हैं। सूर्य शनि की कक्षा अर्थात शनि की राशि कुंभ में रहेेंगे इस दृष्टि से यह विशेष सहयोग भी है यह योग एक शताब्दी के बाद बनता है। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार देखिए तो चार प्रहर की साधना का उल्लेख मिलता है। अन चार पहरो में अलग-अलग प्रकार से भगवान शिव की उपास्ना का वर्णन मिलता है।
शश योग में शुरू हो रही शिव नवरात्रि।
इस बार महाकालेश्वर मंदिर में शिव नवरात्रि का आरंभ 17 फरवरी पंचमी से है। विशेष योग में होगा यह योग शनि के केंद्र में होने से बनता है और शनि वर्तमान में कुंभ राशि स्वयं की राशि कुंभ में परीभ्रमण कर रहे हैं। इस दृष्टि से धर्म अध्यात्म की वृद्धि के लिए अच्छा माना जाता है। शिव उपास्ना का मिलेगा पंच गुना फल इस प्रकार के योग में शिव पूजन करने का विशेष महत्व बताया गया है और पूजन के पक्षत साधकों को मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।
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